खतरे का कोरोना वायरस

 विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस की चुनौतियों के मद्देनजर आपात बैठक बुलाई


अमूमन हर साल दुनिया के किसी 1 हिस्से में किसी न किसी ऐसी बीमारी के वायरस की खबर आती है, जिसके खतरे सामान्य से बहुत ज्यादा होते हैं। निश्चित रूप से यह दुनिया भर में बदलते पर्यावरण, जलवायु में होने वाले उथलपुथल, मनुष्य और उसकी बस्तियों की जीवनशैली में असंतुलन की वजहों से होता होगा। लेकिन इतना साफ है कि ऐसे मौकों पर दुनिया भर में अब तक विकास कर सका चिकित्सा विज्ञान अक्सर लाचार नजर आता है। फिलहाल चीन में कोरोना वायरस की वजह से दुनिया भर में एक बड़ी चिंता खड़ी हो गई है कि अगर इसका विस्तार नहीं रुका तो बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। माना जा रहा है कि इस वायरस के संक्रमण की शुरुआत चीन के वुहान शहर से हुई है, लेकिन अब यह चीन के कई शहरों में फैल चुका है और इसकी चपेट में करीब साढे आठ सौ से ज्यादा लोगों के आने की खबर है। अब तक इस वायरस से पच्चीस लोगों की मौत हो चुकी है।


सार्स के ज्यादा नजदीक


भारत के लिए भी खतरा:


इसलिए है गंभीरः हांगकांग से लौटे यात्रियों ताजा चुनौती इसलिए गंभीर है कि कोरोना वायरस की चपेट में आने वाले व्यक्ति में भी लगभग वैसे ही लक्षण देखे गए हैं, जो आम सर्दी-जुकाम में होते हैं। मसलन, सिरदर्द, नाक बहना, खांसी, गले में खराश, बुखार, अस्वस्थ होने का अहसास, छींकें आना आदि के अलावा निमोनिया और फेफड़ों में सूजन। अब अगर इसे देश में होने वाली आम मौसमी बीमारियों की तरह देखा जाएगा तो शायद यह कोरोना से उपजी गंभीरता की अनदेखी की तरह होगा, क्योंकि इससे संक्रमित लोगों में सर्दी-जुकाम के लक्षण जरूर होते हैं, लेकिन इसका असर गंभीर हो तो जान भी जा सकती है। जाहिर है, संक्रमण की परिस्थितियों को पूरी तरह नियंत्रित करने के साथ-साथ जांच के बाद प्रभावित लोगों की अधिकतम सावधानी से इलाज ही इसका सामना करने के उपाय हैं, क्योंकि अभी तक इस वायरस को बेअसर करने कोई टीका तैयार नहीं किया गया है।